Hanuman Chalisa in Hindi | हनुमान चालीसा हिंदी में|

हनुमान चालीसा भगवान हनुमान को समर्पित एक शक्तिशाली भजन है, जो हिंदू धर्म के प्रतिष्ठित देवता हैं, जो अपनी ताकत, भक्ति और वफादारी के लिए जाने जाते हैं। महान संत तुलसीदास द्वारा रचित, यह पवित्र प्रार्थना हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व रखती है और दुनिया भर में लाखों भक्तों द्वारा इसका जाप किया जाता है।

भगवान हनुमान का इतिहास:

भगवान हनुमान, जिन्हें अंजनेय या पवनपुत्र के नाम से भी जाना जाता है, भक्ति और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने महाकाव्य हिंदू धर्मग्रंथ, रामायण में भगवान राम के सबसे भरोसेमंद साथी और भक्त के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंजना और केसरी के घर जन्मे हनुमान के पास असाधारण शक्ति, चपलता और बुद्धि थी। एक बच्चे के रूप में, वह शरारती था, अक्सर आकाशीय लोकों में तबाही मचाता था। लेकिन भगवान राम के साथ उनकी मुलाकात के माध्यम से ही उनका असली उद्देश्य साकार हुआ। भगवान राम की अपनी पत्नी सीता को राक्षस राजा रावण से बचाने की खोज के दौरान, हनुमान ने भगवान राम की सेना और सीता के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अपनी अटूट भक्ति और असाधारण कौशल से वह बुराई पर अच्छाई की जीत में सहायक बनेI

हनुमान चालीसा पीडीऍफ़ | Hanuman Chalisa pdf

हनुमान चालीसा लिरिक्स हिंदी में | Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi

दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। 
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।  बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
 
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
 
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
 
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
 
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
 
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
 
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
 
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
 
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
 
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
 
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
 
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
 
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
 
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
 
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।

और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।

 और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
 
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
 
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
 
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
 
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
 
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
 
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
 
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
 
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
 
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
 
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
 
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
 
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। 

दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

तुलसीदास के बारे में:

श्रद्धेय कवि-संत तुलसीदास को हनुमान चालीसा की रचना करने का श्रेय दिया जाता है। 16वीं शताब्दी में जन्मे तुलसीदास ने अपना जीवन भगवान राम की पूजा के लिए समर्पित कर दिया और कई भक्ति रचनाएँ लिखीं। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना, रामचरितमानस, एक महाकाव्य कविता के रूप में भगवान राम के जीवन और शिक्षाओं का वर्णन करती है। भगवान हनुमान के प्रति तुलसीदास की गहरी श्रद्धा हनुमान चालीसा में स्पष्ट है, जिसकी रचना उन्होंने अपनी भक्ति व्यक्त करने और शक्तिशाली देवता का आशीर्वाद पाने के लिए की थी।

प्रतिदिन हनुमान चालीसा का जाप करने के लाभ:

रोजाना हनुमान चालीसा का जाप करने से मन, शरीर और आत्मा को कई फायदे होते हैं। यहां कुछ प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

• सुरक्षा और बुराई से बचाव: माना जाता है कि भगवान हनुमान के पास अपार सुरक्षात्मक शक्तियां हैं। कहा जाता है कि हनुमान चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्त के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा और बुरी ताकतें दूर हो जाती हैं।

• बढ़ा हुआ साहस और ताकत: हनुमान अपनी बेजोड़ ताकत और बहादुरी के लिए प्रसिद्ध हैं। हनुमान चालीसा का जाप करने से साहस बढ़ता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद मिलती है। 

• आध्यात्मिक विकास और भक्ति: हनुमान को भक्ति का अवतार माना जाता है। हनुमान चालीसा का पाठ करके, व्यक्ति परमात्मा के साथ अपना संबंध गहरा कर सकता है, आध्यात्मिक विकास का अनुभव कर सकता है और अटूट विश्वास विकसित कर सकता है।

• पीड़ा और तनाव से राहत: ईमानदारी और भक्ति के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करने से अशांत मन को शांति मिल सकती है, तनाव कम हो सकता है और शारीरिक और मानसिक पीड़ा से राहत मिल सकती है।

• आशीर्वाद और इच्छाओं की पूर्ति: भगवान हनुमान को इच्छाओं को पूरा करने वाले देवता के रूप में जाना जाता है। शुद्ध इरादों के साथ हनुमान चालीसा का नियमित पाठ हनुमान के आशीर्वाद को आकर्षित कर सकता है और किसी की इच्छाओं को पूरा करने में मदद कर सकता है।

हनुमान चालीसा एक दिव्य रचना है जो भगवान हनुमान के गुणों, शक्तियों और कृपा को समाहित करती है। इस पवित्र भजन का अत्यंत भक्तिपूर्वक जप करके, कोई भी हनुमान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन में गहरा परिवर्तन का अनुभव कर सकता है।

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